मुगल साम्राज्य का इतिहास(History of Mughal Empire) (1526-1857 ई)
मुगल साम्राज्य का परिचय(Introduction of the Mughal Empire)
मुगल वंश की स्थापना (1526 ई) में बाबर के द्वारा किया गया था। बाबर और उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे। बाबर का पिता चगताई तुर्क और माता मंगोल वंश से थी। लेकिन उसने अपनी आत्मकथा में स्वयं को अपनी मां के वंश से मानने पर जोर दिया है। इसलिये उसके द्वारा स्थापित वंश मुगल वंश कहलाया था। बाबर पितृ पक्ष की ओर से तैमूर का पांचवा वंशज तथा मातृ पक्ष की ओर से चंगेज खां का चौदहवां वंशज था। बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद पादशाही की स्थापना की थी। जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था। पादशाह की उपाधि धारण करने वाला बाबर प्रथम मुगल शासक था।
मुगल राजवंश का महत्त्व(Significance of Mughal Dynasty)
इस वंश ने भारत में लगभग 200-250 वर्षों तक शासन किया था। मुगल वंश का भारतीय इतिहास में बहुत महत्त्व है। बाबर ने 1526 ई० में दिल्ली में मुगल-साम्राज्य की स्थापना की थी और इस वंश का अन्तिम शासक बहादुर शाह 1856 ई० में दिल्ली के सिंहासन से अंग्रेजो के द्वारा हटाया गया था। इस प्रकार भारतवर्ष में किसी अन्य मुस्लिम राज-वंश ने इतने अधिक दिनों तक स्वतंत्रतापूर्वक शासन नहीं किया जितने वर्षो तक मुगल राज-वंश ने शासन किया था। न ही केवल काल की दृष्टि से मुगल राज-वंश का भारतीय इतिहास में महत्त्व है बल्कि विस्तार की दृष्टि से भी बहुत बड़ा महत्त्व है। मुगल राजाओं ने न केवल सम्पूर्ण उत्तरी-भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था बल्कि दक्षिण भारत के भी एक बहुत बड़े भाग पर उन्होंने अपनी प्रभुत्व-शक्ति स्थापित किया था। शांति तथा सुव्यवस्था, राजतंत्र, स्थापत्य कला, और संस्कृति के दृष्टिकोण से भी मुगल राज-वंश का भारतीय इतिहास में बहुत बड़ा महत्त्व है।
मुगल वंश के शासक(Rulers of the Mughal Dynasty)
- बाबर (1526-1530 ई)
- हूमायूं (1530-1540ई, 1555-56 ई )
- अकबर (1556-1605 ई)
- जहांगीर (1605-1627 ई)
- शाहजहां (1627-1658 ई)
- औरंगजेब (1658-1707 ई)
- बहादुर शाह प्रथम (1707-1712 ई)
- जहांदर शाह (1712-1713 ई)
- फर्रुखशियर (1713-1719 ई)
- मुहम्मदशाह (1719-1748 ई)
- अहमदशाह (1748-1754 ई)
- आलमगीर (1754-1759 ई)
- शाह आलम (1759-1806 ई)
- अकबर द्वितीय (1806-1837 ई)
- बहादुर शाह जफर द्वितीय (1837-1857 ई)
जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर(Zaheeruddin Muhammad Babar)
- जन्म- 14 फरवरी 1483 ई
- जन्म भूमि- अन्दीजन (फरगना राज्य की राजधानी) उज्बेकिस्तान
- माता- कुतलुग निगार
- पुत्र- हुमायूं, कामरान, अस्करी, हिंदाल
- रचना- बाबरनामा या तुजुक-ए-बाबर
- पूरा नाम- जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर
- अन्य नाम- पादशाह ए गाजी, मुगल शाह
- राज्याभिषेक- 8 जून 1494 ई
- मृत्यु स्थान- आगरा
- बोलचाल की भाषा- उर्दू
- उपाधि- पादशाह, कलंदर
- पिता- उमर शेख मिर्जा
बाबर से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points Related to Babar)
- 1526 ई में पानीपत के प्रथम युद्ध में विजय के बाद बाबर ने काबुल के प्रत्येक निवासी को एक एक चांदी का सिक्का दान दिया था। इस उदारता के कारण उसे कलंदर की उपाधि दी गयी थी।
- बाबर ने काबुल में चांदी का शाहरूख तथा कांधार में बाबरी नामक सिक्का चलाया था।
- बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा तुजुक ए बाबरी की रचना की। इसे बाबरनामा भी कहा जाता है।
- सर्वप्रथम अकबर के समय में इसका फारसी में अनुवाद पायन्दा खां ने किया तथा बाद में 1590 में अब्दुर्रहीम खानेखाना ने इसका फारसी में अनुवाद किया था।
- बाबरनामा का फारसी भाषा से अंग्रेजी अनुवाद सर्वप्रथम लीडन, अर्सकिन, व एल्किंग ने 1826 ई में किया था।
- मिसेज बैवरीज ने सर्वप्रथम मूल तुर्की भाषा से इसका अंग्रेजी में अनुवाद 1905 में किया।
- बाबर ने तुर्की भाषा में एक और काव्य संग्रह दिवान का संकलन करवाया था।
- मुबइयान नामक पद्य शैली का विकास बाबर ने किया था।
- यह मात्र 12 वर्ष की अल्पावस्था में पिता की एक दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद बाबर फरगना की गद्दी पर बैठा था।
- 1504 ई में बाबर ने काबुल को जीता व मिर्जा की जगह पादशाह की उपाधि धारण की थी।
- बाबर निरंतर युद्धों से जूझता रहा उसने उजबेगों से तुलुगमा व्यूह प्रणाली, इरानियों से बंदूकों का प्रयोग, तुर्कों से घुड़सवारी तथा मंगोलों और अफगानों से व्यूह रचना सीखी थी।
- बाबर ने उस्ताद अली कुली को अपने तोपखाने का अध्यक्ष नियुक्त किया था ।
- बाबर के आक्रमण के समय भारत सात राज्यों में बंटा था। जिनमें 5 मुस्लिम बंगाल, दिल्ली, मालवा, बहमनी, गुजरात और दो हिंदू राज्य मेवाड़ व विजयनगर थे।
- बाबर ने भारत पर 5 बार आक्रमण किया।
- बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 ई में युसुफ जई जाति के विरूद्ध किया और बाजौर (पाक) के दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
- बाद में बाबर ने भेरा (पाक) नामक स्थान पर भी अधिकार कर लिया था।
- भेरा अभियान में बाबर ने तोपखाने का प्रयोग किया था। जो असफल रहा।
- बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खां लोदी और मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने दिया था।
- पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 में बाबर व इब्राहिम लोदी के मध्य लड़ा गया इसमें बाबर विजयी हुआ।
- इस युद्ध में उसने सफलतापूर्वक तुलुगमा पद्धति व तोपों को सजाने की उस्मानी पद्धति का प्रयोग किया।
- दो गाड़ियों के बीच व्यवस्थित जगह छोड़कर उसमें तोपों को रखकर चलाने की पद्धति को उस्मानी पद्धति कहा जाता था।
- बाबर के दो कुशल तोपची उस्ताद अली व मुस्तफा थे।
- खानवा विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की थी।
- घाघरा का युद्ध प्रथम युद्ध था जो जल व थल दोनों में लड़ा गया।
- बाबर की पुत्री का नाम गुलबदन बेगम था।
- पानीपत के प्रथम युद्ध में पहली बार बाबर ने तोपखाने का तुलुगमा पद्धति का सफलतापूर्वक प्रयोग किया।
- सड़क मापने के लिये बाबर ने गज-ए-बाबरी मापक का प्रयोग किया।
बाबर की मृत्यु(Death of Babur)
बाबर की मृत्यु 26 दिसंबर 1530 ई में आगरा में हुयी थी। जिसे पहले आगरा के आरामबाग में दफनाया गया और बाद में फिर काबुल में दफनाया गया था। बाबर का मकबरा काबुल में है।
बाबर के द्वारा लड़े गये प्रमुख युद्ध(Major Battles Fought by Babur)
- 1. पानीपत का प्रथम युद्ध- 1526ई- इब्राहिम लोदी- बाबर विजयी
- 2. खानवा (राजस्थान) का युद्ध- 1527 ई- राणा सांगा- बाबर विजयी
- 3. चंदेरी (मप्र) का युद्ध -1528ई- मेदिनी राय- बाबर विजयी
- 4. घाघरा का युद्ध- 1529 ई- अफगानों से (महमूद लोदी)- बाबर विजयी
- ट्रिक- 26 को पानी पिया, 27 को खाना खाया, 28 को चला, 29 को घर पहुंचा 30 को मर गया।
नासिरूद्दीन मुहम्मद हुमायूं (Nasiruddin Muhammad Humayun)
- जन्म- 6 मार्च 1508 ई
- जन्म स्थान- काबुल
- मूल नाम- नासिरूद्दीन मुहम्मद
- माता- माहम बेगम
- राज्याभिषेक- 30 दिसंबर 1530 ईं (आगरा)
हुमायूं से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points Related to Humayun)
- गद्दी पर बैठने से पहले हुमायूं बदख्शां (तजाकिस्तान) का सूबेदार था।
- हुमायूं एकमात्र ऐसा मुगल शासक था जिसने अपने पिता के कहने पर अपने राज्य का बंटवारा अपने भाइयों में किया। इसने कामरान को काबुल और कंधार, अस्करी को संभल (उप्र) हिंदाल को अलवर व मेवाड़ की जागीरें प्रदान की थी।
- आगरा विजय के बाद हूमायूं से प्रसन्न होकर बाबर ने उसे पर्याप्त धन व कोहिनूर का हीरा प्रदान किया था।
- अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हूमायूं ने बदख्शां (तजाकिस्तान) प्रदान किया।
- कालिंजर पर आक्रमण (1531) हुमायूं का पहला आक्रमण था। कालिंजर अभियान इसे गुजरात के शासक बहादुर शाह की बढती हुयी शक्ति रोकने के लिये करना पड़ा।
- देवरा (उप्र) का युद्ध 1532 ई में हूमायूं व महमूद लोदी के बीच हुआ था। इसमें महमूद की पराजय हुयी थी।
- हुमायूं ने चुनार का घेरा 1532 में किया । हूमायूं के चुनार के किले पर आक्रमण के समय यह किला अफगान नायक शेरशाह के कब्जे में था।
- 1533 में हूमायूं ने दीनपनाह नामक नये नगर की स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य मित्र एवं शत्रु को प्रभावित करना था।
- चौसा (बिहार) का युद्ध 1539 में शेर खां एवं हूमायूं के बीच हुआ जिसमें हूमायूं की पराजय हुयी थी।
- इस युद्ध के बाद शेरखां ने शेरशाह की पदवी ग्रहण कर ली थी।
- बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध 1540ई में शेरखां व हुमायूं के बीच हुआ था। इस युद्ध में भी हूमायूं पराजित हुआ। शेर खां ने आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
- इस युद्ध में उसके साथ उसके भाई हिंदाल व अस्करी भी थे।
- बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूं सिंध चला गया जहां उसने 15 वर्षों तक घुमक्कड़ों की तरह जीवन व्यतीत किया था।
- निर्वासन के समय हूमायूं ने हिंदाल के आध्यात्मिक गुरू मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानो बेगम से 1541 में शादी की। जिससे अकबर का जन्म हुआ।
- मच्छीवाड़ा का युद्ध हूमायूं एवं अफगानों के बीच 1555 ई में हुआ था।
- 1555 में हूमायूं ने पंजाब के सूरी शासक सिकंदर सूरी को सरहिंद के युद्ध में पराजित किया व दोबारा दिल्ली गद्दी पर बैठा था।
- हूमायूं के पुस्तकालय का नाम सेरमंडल था।
- हूमायूं ज्योतिष में भी विश्वास रखता था इसलिये उसने सप्ताह के सात दिन सात रंग के कपड़े पहनने का नियम बनाया था।
हूमायूं द्वारा लड़े गये युद्ध(Battles Fought by Humayun)
- देवरा का युद्ध -1532 ई
- चौसा का युद्ध -1539 ई
- बिलग्राम का युद्ध -1540 ई
- सरहिंद का युद्ध -1555 ई
हूमायूं की मृत्यु(Death of Humayun)
1 जनवरी 1556 में हूमायूं की मृत्यु दीनपनाह भवन के पुस्तकालय की सीढियों से गिरकर हुयी थी। हूमायूंनामा की रचना उसकी सौतेली बहन गुलबदन बेगम ने की थी।
सूरी वंश(Suri Dynasty) (1540-1555 ई)
शेरशाह सूरी(Shershah Suri)
- जन्म- 1472 ई
- जन्म स्थान- बजवाड़ा होशियारपुर बिहार
- प्रारंभिक नाम- फरीद खां
- राज्याभिषेक -1540, आगरा
- उपाधि- सुल्तान उल अदल, हजरत ए आला
- मृत्यु - 1545 ई
शेरशाह सूरी से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु(Important Points Related to Sher Shah Suri)
- सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था।
- इनके पिता हसन खां जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे।
- फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार में मार दिया था उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खां लोहानी ने उसे शेर खां की उपाधि प्रदान की थी।
- शेरशाह बिलग्राम युद्ध के बाद दिल्ली की गद्दी पर 67 वर्ष की उम्र में बैठा था।
- सन् 1541ई में शेरशाह ने गक्खरों के विरूद्ध अभियान किया था।
- अपने राज्याभिषेक के समय शेर खां ने शेर शाह की उपाधि धारण की थी।
- शेरशाह की मृत्यु 1545 में कालिंजर किले की दीवार से टकराकर लौटे तोप के गोले से हुयी।
- कालिंजर का शासक कीरत सिंह था ।
- ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण शेरशाह ने करवाया था।
- शेरशाह ने 1541 में पाटलिपुत्र का नाम पटना रखा था।
- शेरशाह ने सिक्कों पर अरबी व देवनागरी लिपि में खुदवाया।
- शेरशाह का मकबरा बिहार के सासाराम झील के बीच में है। जो इसने खुद बनवाया था। इसे बिहार का ताजमहल भी कहते हैं।
- शेरशाह ने भूमि की माप के लिये 32 इंच वाला सिकंदरी गज एवं सन की डंडी का प्रयोग किया।
- शेरशाह ने 178 ग्रेन चांदी का रूपया व 380 ग्रेन का चांदी का दाम चलवाये थे।
- शेरशाह के शासनकाल में 23 टकसालें थी।
- शेरशाह ने कन्नौज के स्थान पर शेरसूर नामक नगर बसाया था।
- शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1/3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी।
- कबूलियत व पट्टा प्रथा की शुरूआत शेरशाह ने की थी।
- मलिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे।
- डाक प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा शुरू की गयी थी।
- रणथम्भौर के शक्तिशाली किले को अपने अधीन कर अपने पुत्र आदिल खां को वहां का गवर्नर बनाया गया था।
- शेरशाह को अकबर का अग्रदूत भी कहा जाता है।
- मृत्यु के समय शेरशाह उक्का नामक आग्नेयास्त्र चला रहा था।
- द्वितीय अफगान साम्राज्य की स्थापना शेरशाह ने की थी।
- रोहतासगढ़ किला, किला-ए-कुहना (दिल्ली) नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह के द्वारा किया गया था।
- शेरशाह के उत्तराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह सूरी था।
- शेरशाह ने शिकदारों को नियंत्रित करने के लिये अमीन ए बंगला की नियुक्ति की थी।
- मारवाड़ विजय के बारे में शेरशाह ने कहा था कि मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिये हिंदुस्तान के साम्राज्य को लगभग खो चुका था।
- शेरशाह ने अपने संपूर्ण साम्राज्य को 47 सरकारों में विभाजित किया था।
- शेरशाह के समय स्थानीय करों को आबवाब कहा गया था।
- शेरशाह ने उत्पादन के आधार पर भूमि को अच्छी, मध्यम व खराब तीन श्रेणियों में बांटा था।
- शेरशाह ने हूमायूं द्वारा निर्मित दीनपनाह को तुड़वाकर उसके ध्वंशावशेषों पर पुराना किला का निर्माण करवाया था।
- किला ए कुहना दिल्ली मस्जिद का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था।
- अब्बास खां ने शेरशाह की प्रसंशा में लिखा है कि बुद्धिमत्ता और अनुभव में वह दूसरा हैदर था।
- शेरशाह ने कुल 1700 सरायों का निर्माण करवाया था।
- शेरशाह सूरी प्रारंभ में बाबर की सेना में था व बाबर की ओर से युद्ध लड़ा था इसलिये उसे मुगलों की युद्ध कला का ज्ञान था।
- शेरशाह ने चंदेरी का युद्ध बाबर की ओर से व घाघरा का युद्ध अफगानों की ओर से लड़ा था।
पुनः मुगल वंश की शुरुआत (Re-Establishment of the Mughal Dynasty)
जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर(Jalaluddin Muhammad Akbar)
- जन्म 15 अक्टूबर 1542ई में (अमरकोट के राणा बीरसाल के महल में )
- राज्याभिषेक - 14 फरवरी 1556 (कालानौर गुरदासपुर पंजाब)
- माता- हमीदा बानो बेगम
- अकबर का संरक्षक- मुनीम खां (गजनी में)
- शिक्षक- अब्दुल लतीफ ईरानी
- अकबर का पूरा नाम - जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर
- अकबर का संरक्षक - बैरम खां
- संतान- तीन पुत्र (सलीम, मुराद व दानियाल) व तीन पुत्रियां
- सलीम का जन्म जोधाबाई के गर्भ से हुआ था।
अकबर का प्रारंभिक जीवन(Early Life of Akbar)
- अकबर के जन्म के समय हुमायूं शाह हुसैन के विरूद्ध थट्टा व भक्सर अभियान पर था। पुत्र जन्म का समाचार सुनते ही हूमायूं ने साथियों के साथ कस्तूरी बांट कर उत्सव मनाया था।
- हुमायूं और शाह हुसैन के बीच संधि हुयी जिसके बाद हूमायूं ने सिंध छोड़ने का वचन दिया।
- 1543 में हुमायूं ने सिंध छोड़कर काबुल की ओर प्रस्थान किया। लेकिन काबुल पर उस समय कामरान की तरफ से अस्करी शासन कर रहा था। कामरान ने हुमायूं को बंदी बनाने का आदेश दिया। हूमायूं को इसकी सूचना मिल गयी थी। वह अपने शिशु अकबर को जीजी अनगा व माहम अनगा नामक दो धायों के संरक्षण में छोड़कर हमीदा बानो बेगम के साथ ईरान की ओर प्रस्थान किया था।
- अस्करी ने अकबर के साथ अच्छा व्यवहार किया व उसकी देखरेख अपनी पत्नी सुल्तान बेगम को सौंपी।
- 1545 में हुमायूं ने कांधार पर आक्रमण किया। तब अस्करी ने अकबर को काबुल भेज दिया और जहां बाबर की बहन खाजनामा बेगम ने उसका पालन पोषण किया था।
- 1546 में अकबर हूमायूं से मिला था।
प्रारंभिक शिक्षा(Primary Education)
- अकबर की शिक्षा के लिये हुमायूं ने दो शिक्षक पीर मोहम्मद तथा बैरम खां को नियुक्त किया था। लेकिन पढाई पर उसका मन नहीं लगा था।
- अकबर को पहली बार नौ वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली थी।
- इसी समय उसके चाचा हिंदाल की पुत्री रूकैया बेगम के साथ उसका विवाह हुआ था।
- 1555 के सरहिंद युद्ध में भी अकबर ने हूमायूं का साथ दिया। उसकी प्रतिभा से हुमायूं प्रसन्न हुआ और उसे सरहिंद विजय का श्रेय दिया था।
अकबर का राज्याभिषेक(Akbar's Coronation)
- जब 1556 में हूमायूं की मृत्यु हुयी उस समय अकबर पंजाब में सिकंदर सूर के विरूद्ध युद्धरत था।
- दिल्ली की गद्दी प्राप्त करने पर हुमायूं ने अकबर को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया और उसे पंजाब के सूबेदार का दायित्व सौंपा और बैरम खां को उसका संरक्षक नियुक्त किया गया था।
- अकबर को अपने पिता की मृत्यु का सूचना गुरदासपुर के कालानौर नामक स्थान पर प्राप्त हुयी। इसी स्थान पर बैरम खां ने अकबर का राज्याभिषेक किया था।
- उस समय उसकी आयु मात्र 13 वर्ष थी।
- इस अवसर पर अकबर ने बैरम खां को खानखाना की उपाधि दी थी और अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
- अकबर बादशाह गाजी की उपाधि के साथ राजसिंहासन पर बैठा था।
आरंभिक कठिनाईयां(Initial Difficulties)
- जिस समय अकबर गद्दी पर बैठा उस समय उसे सबसे अधिक खतरा अफगानों से था। सिकंदर सूर और आदिलशाह के नेतृत्व में अफगान पुनः दिल्ली की सत्ता प्राप्त करना चाहते थे।
- सिकंदर सूर पंजाब से संपूर्ण उत्तर भारत की ओर अपनी शक्ति का विस्तार करना चाहता था जबकि आदिलशाह बिहार से दिल्ली तक अधिकार करना चाहता था। आदिलशाह का सेनापति हेमू विशाल सेना लेकर दिल्ली की ओर अग्रसर हुआ था।
- हेमू को 24 युद्धों में से 22 युद्ध जीतने का श्रेय प्राप्त है।
- आदिलशाह ने हेमू को विक्रमजीत की उपाधि प्रदान कर वजीर बनाया था।
पानीपत का द्वितीय युद्ध(Second Battle of Panipat)
- डा आर पी त्रिपाठी ने कहा था कि हेमू की पराजय एक दुर्घटना थी जबकि अकबर की विजय एक दैवीय संयोग था।
- हेमू ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया था। इस प्रकार मध्यकालीन भारत में वह एकमात्र हिंदू शासक था जिसने दिल्ली पर अधिकार कर लिया था।
- दिल्ली पर हेमू के अधिकार के समय अकबर जालंधर में था और सेना लेकर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया।
- पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर 1556 को अकबर और हेमू के बीच हुयी थी। हेमू की आंख में तीर लग गयी थी
- जिससे वह युद्ध मैदान छोड़कर भाग खड़ा हुआ और अकबर विजयी हुआ था।
- बैरम खां ने हेमू को गिरफतार कर उसकी गर्दन काट दी थी।
- अकबर की सेना का नेतृत्व पानीपत की लड़ाई में बैरम खां ने किया था और इस युद्ध को जीतने का श्रेय भी बैरम खां को दिया जाता है।
- हेमू का मूल नाम हेमचंद था।
- मध्यकालीन भारत का वह एकमात्र शासक था जिसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार किया था।
- दिल्ली पर अधिकार के बाद उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की विक्रमादित्य की उपाधि धारण करने वाला हेमू 14 वां व अंतिम शासक था।
- सन् 1559ई में सिकंदर सूर की मृत्यु हो गयी जिससे सूर वंश का अंत हो गया था।
- मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खां नामक युवक ने बैरम खां की हत्या कर दी क्योंकि बैरम खां ने उसके पिता की मच्छीवाड़ा के युद्ध में हत्या कर दी थी। अब्दुर्रहीम खानखाना बैरम खां का पुत्र था।
- हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में महाराणा प्रताप व अकबर के बीच हुआ था। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह व आसफ खां ने किया था।
- अकबर का सेनापति मानसिंह था।
- बदायूंनी ने हल्दीघाटी के युद्ध का आंखों देखा विवरण अपनी पुस्तक मुन्तखाब-उत-तवारीख में प्रस्तुत किया है।
- गुजरात विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और यहीं उसने सर्वप्रथम समुद्र को देखा।
- अकबर ने खानदेश (महाराष्ट्र) को 1591 ई में जीता जिसे दक्षिण भारत का प्रवेश द्वारा माना जाता था।
- दक्षिण विजय के बाद अकबर ने सम्राट की उपाधि ग्रहण की थी।
- अकबर की मृत्यु अतिसार रोग के कारण 1605 में हुयी थी।
- अकबर को सिकन्दरा (आगरा) में दफनाया गया था।
अकबर के नौ रत्न(Nine Gems of Akbar)
- बीरबल- प्रधानमंत्री
- मुल्ला दो प्याजा- वजीर (प्रधानमंत्री) बीरबल के प्रतिद्वंद्वी
- मान सिंह- सैनिक प्रधान
- तानसेन- प्रसिद्ध संगीतकार
- हकीम हुकाम- रसोई घर का प्रधान
- टोडर मल- दिवान-ए-अशरफ(वित्तमन्त्री)
- अब्दुर्रहीम खानखाना- राजकवि
- फैज़ी- प्रसिद्ध कवि (अबुल फजल का बड़ा भाई)
- अबुल फजल- दरबार में राजकवि और सलाहकार
- (ट्रिक- टोमू अबी हम भारत में है।)
- अकबर के भूमि संबंधी सुधारो का श्रेय टोडरमल को जाता है।
- अकबर की सेवा में आने से पूर्व टोडरमल शेरशाह के दरबार में था।
- टोडरमल ने 1580 ई में दहसाला बंदोबस्त व्यवस्था लागू की थी।
- टोडरमल ने अपना प्रथम भूमि बंदोबस्त गुजरात में किया था।
- राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में टोडरमल द्वारा शुरू की गयी थी।
- अकबर के दरबार में प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था। तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था।
- तानसेन की प्रमुख कृतियां थी -मियां की टोड़ी, मियां की मल्हार, मियां की सारंग, दरबारी कान्हडा हैं।
- कण्ठाभरण वाणीविलास की उपाधि अकबर ने तानसेन को दी थी।
- अकबर ने भगवान दास को अमीर उल उमरा की उपाधि दी थी।
- राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में प्रचलित थी।
- अकबर के दरबार का प्रसिद्ध चित्रकार अबुसमद था ।
- दसवंत व बसावन भी अकबर के प्रसिद्ध चित्रकार थे। बसावन सर्वश्रेष्ठ था ।
- मुगल चित्रशाला की प्रथम कृति का नाम दास्ताने-अमीर- हम्जा था। इसमें 1200 चित्रों का संग्रह हैं।
- पहली बार भित्ति चित्रकारी अकबर के समय शुरू हुयी थी।
- जहांगीर सबसे ज्यादा अब्दुर्रहीम खानेखाना से प्रभावित था ।
- हकीम हुकाम अकबर के रसोई घर का प्रधान था।
- अकबर ने जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरी को जगतगुरू की उपाधि प्रदान की थी।
- अकबरनामा एवं आइन-ए-अकबरी की रचना अबुल फजल ने की गयी थी।
- अबुल फजल का बड़ा भाई फैजी अकबर के दरबार में राजकवि के पद पर आसीन था।
- मई 1562 में अकबर ने हरम दल से अपने को पूर्णतः मुक्त कर लिया था।
- 1571 में अकबर ने राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी स्थानांतरित की थी।
- अकबर ने 1575 में इबादतखाने की स्थापना 1575 ई में फतेहपुर सीकरी की स्थापना करायी।
- इबादतखाना का उद्देश्य प्रत्येक रविवार को धार्मिक विषयों पर खुला वाद विवाद था।
- अकबर ने 1575 में मनसबदारी प्रथा शुरू थी। मनसबदारी के अंतर्गत अधिकारियों व सेनापतियों का पद निर्धारित किया जाता था जो अलग अलग होते थे। मनसब के आधार पर सैनिकों व अधिकारियों के वेतन निश्चित किये जाते थे।
- अकबर ने महजरनामा नामक दस्तावेज 1579 ई में जारी किया। जिसमें मुगल शासक को राज्य का सबसे बड़ा प्रमुख माना गया।
- धर्म के संबंध में यदि कोई विवाद उठता है तो सम्राट का निर्णय अंतिम होगा।
- मजहरनामा का प्रारूप शेख मुबारक ने तैयार किया था। शेख मुबारक अबुल फजल व फैजी के पिता थे।
- मजहरनामा जारी होने के बाद अकबर ने सुल्तानेआदिल की उपाधि धारण की ।
- अकबर ने दीन-ए-इलाही या तौहिद-ए-इलाही की घोषणा 1582 ई में की।
- दीन-ए-इलाही का पुरोहित अबुल फजल था।
- दीन-ए-इलाही को स्वीकार करने वाला अंतिम प्रथम व अंतिम हिंदू शासक बीरबल था।
- अकबर ने बीरबल को कविराज एवं राजा की उपाधि प्रदान की।
- बीरबल की मृत्यु युसुफजइयों का विरोध दबाते समय हुयी। इनके बचपन का नाम महेशदास था।
- अकबर ने बीरबल को कविप्रिय, कविराज व राजा की उपाधि प्रदान की।
- 1602 में सलीम (जहांगीर) के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की ओर आ रहे अबुल फजल की रास्ते में बीर सिंह बुंदेला नामक सरदार ने हत्या कर दी थी।
- अकबर ने अनुवाद विभाग की स्थापना की थी।
- नकीब खां, अब्दुल कादिर बदायूंनी, शेख सुल्तान ने रामायण व महाभारत का फारसी अनुवाद किया व महाभारत नाम रज्जनामा रखा था।
- पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर-ए-सादात नाम से तथा मौलाना हुसैन ने यार दानिश नाम से किया था।
- अकबर ने इलाही संवत 1583 में जारी किया।
- अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूफी संत शेख सलीम चिश्ती थे।
- अथर्ववेद का सरहिंदी ने, मुल्लाशाह मुहम्मद ने राजतरंगिणी का, अब्दुर्रहीम खानखाना ने तुजुक ए बाबरी का और फैजी ने लीलावती का फारसी में अनुवाद किया था।
- फैजी ने नलदयमंती कथा का फारसी में अनुवाद कर उसका नाम सहेली रखा।
- अकबर के काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल कहा जाता है।
- बुलंद दरवाजे का निर्माण अकबर ने गुजरात विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।
- चार बाग बनाने की परंपरा अकबर के समय शुरू हुयी थी।
- अकबर ने नरहरि को महामात्र की उपाधि प्रदान की थी।
- अकबर ने आगरा व लाहौर में ईसाईयों को गिरिजाघर बनाने की अनुमति प्रदान की थी।
अकबर की स्थापत्य कलाकृतियां (Akbar's Architectural Artifacts)
- दिल्ली में हुमायूं का मकबरा
- आकरा का लालकिला
- फतेहपुर सीकरी का शीशमहल
- दीवाने खास
- पंचमहल
- बुलंद दरवाजा
- जोधाबाई का महल
- इबादत खाना
- इलाहाबाद का किला
- लाहौर का किला
अकबर के कुछ अन्य महत्वपूर्ण कार्य(Some Other Important Works of Akbar)
- दासप्रथा का अंत - 1562 ई
- अकबर को हरमदल से मुक्ति- 1562 ई
- तीर्थयात्रा कर समाप्त- 1563 ई
- जजिया कर समाप्त- 1564 ई
- फतेहपुर सीकरी की स्थापना एवं राजधानी का आगरा से फतेहपुर सीकरी स्थानांतरण- 1571 ई
- इबादत ख़ाने की स्थापना - 1575 ई
- मजहर की घोषणा- 1579 ई
- दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना- 1582 ई
- इलाही संवत की शुरूआत - 1585 ई
- राजधानी लाहौर स्थानांतरित - 1585 ई