उत्तराखंड राज्य का गठन ( Formation of Uttarakhand)
उत्तराखंड राज्य को उत्तरप्रदेश के 13 हिमालयी जिलों को काटकर इसका गठन किया गया था। उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को किया गया था। यह देश में गठित होने वाला 27 वां राज्य था। हिमालयी राज्यों के क्रम में गठित होने वाला यह देश का 11 वां राज्य है।
- वर्तमान में यह 10वां हिमालयी राज्य है। क्योंकि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है।
- उत्तरांचल राज्य विधेयक लोकसभा में 1 अगस्त 2000 को पारित हुआ था।
- उत्तरांचल विधेयक राज्यसभा में 10 अगस्त 2000 को पारित हुआ था।
- उत्तरांचल विधेयक पर राष्ट्रपति के आर नारायण द्वारा 28 अगस्त 2000 हस्ताक्षर किए गए थे।
- राज्य गठन के बाद राज्य को सरकारी गजट संख्या 28 में रखा गया था।
- राजधानी – देहरादून (अस्थायी) बनाई गई थी।
- ग्रीष्मकालीन राजधानी –गैरसैंण (4 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा घोषित घोषणा 20 जून को स्वीकृत किया गया था।)
- उत्तराखंड दो राजधानी वाला उत्तराखंड देश का पांचवा राज्य है।
- राज्य का नाम 31 दिसंबर 2006 तक उत्तरांचल रहा और फिर 1 जनवरी 2007 से इसका नाम उत्तराखंड कर किया गया था।
- राज्य में 46 दिन का अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन 27 मार्च से 12 मई 2016 तक लगा था।
- यह राष्ट्रपति शासन मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत की सरकार में लगाया गया था।
उत्तराखंड राज्य का राज्य चिन्ह (State Symbol of Uttarakhand)
- प्रतीक चिन्हों को 9 नवंबर 2000 को अपनाया गया था।
- उत्तराखंड के राज्य चिन्ह में एक गोलाकार मुद्रा में तीन पर्वत चोटियों की श्रंखला व उनके नीचे गंगा की चार लहरों को दर्शाया गया है।
- इसके बीच में स्थित चोटी अन्य चोटियों से ऊंची है। और बीच वाली चोटी के मध्य अशोक की लाट बनी है।
- अशोक की लाट के नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया है।
- यह प्रतीक चिन्ह उत्तराखंड सरकार की राजकीय मुहर है।
- इसमें चार जलधाराएं राज्य की चार बड़ी नदियां गंगा, यमुना, काली और रामगंगा को दर्शाती है ।
- इसका आकार हीरे के आकार का है। अर्थात चतुष्कोणीय आकृति का है।
- नीला रंग राज्य की पवित्र नदियों के शुद्ध जल का प्रतीक है।
- अशोक की लाट की पृष्ठभूमि लाल है।
- ऊपरी भाग में दर्शाई गई लाल रंग की पृष्ठभूमि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों के रक्त का प्रतीक है।
- इसमें पर्वतों और गंगा की लहरों को नीले कलर से दर्शाया गया है।
उत्तराखंड राज्य का राज्य पुष्प(State Flower of Uttarakhand)
- ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है।
- यह 4800 m से 6000 m की ऊंचाई पर पाया जाता है।
- इसका वैज्ञानिक नाम सोसुरिया अबवेलेटा है।
- उत्तराखंड में इसकी कुल 24 और पूरे भारत में 61 विश्व में 210 प्रजातियां पाई जाती है।
- यह ऐसटेरसी कुल का पौधा है।
- इसका नाम स्वीडन के वैज्ञानिक डी.सोसेरिया के नाम पर रखा गया है।
- स्थानीय भाषा में इसे कौलपदम कहा जाता है।
- महाभारत के वन पर्व में इसे सौंगाधिक पुष्प कहा गया है।
- बैगनी रंग का यह पुष्प जुलाई से सितंबर तक मात्र 3 माह तक खिलता है।
- यह साल में एक बार खिलता है वह भी रात्रि में शुभ माना जाता है।
- इसे अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है उत्तराखंड में ब्रह्मकमल के बाद, इसे कश्मीर में गलगल नेपाल में टोपगोला कहा जाता है।
- जिस समय इसमें खिलते है उस समय वहां का वातावरण सुगंध से भर जाता है।
- पड़ोसी राज्य हिमाचल में इसे दूधाफल कहा जाता है।
- यह मां नंदा का प्रिय पुष्प है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
- ब्रह्मकमल पुष्प की ऊंचाई 70cm से 80cm तक होती है।
उत्तराखंड राज्य का राज्य वृक्ष (State Tree of Uttarakhand)
- यह बसंत के मौसम में अपने रंग बिरंगे फूलों से उत्तराखंड के प्रकृति को खूबसूरत बनाने वाले बुरास को उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बनाया गया है।
- उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश है।
- इसका वनस्पतिक नाम रोडोड्रेंड्रान अरबेरियम है।
- यह फूल गर्मियों के महीने वैशाख माह तक खिल जाते है।
- बुरांश के फूलों का जूस हृदय रोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है।
- इसके फूलो से रंगो का निर्माण भी किया जा है।
- इसके पत्तों का उपयोग खाद बनाने में किया जाता है।
- इसके पुष्प का रंग चटक लाल होता है।
- बुरांस में फरवरी से अप्रैल तक पुष्प खिलता है।
- बुरांस के अवैध कटान के कारण इसे अधिनियम 1974 के तहत सुरक्षित वृक्ष घोषित किया गया है।
- 1500m से 4000m की ऊंचाई तक मिलने वाले बुरास के फूलों को रंग चटख लाल होता है।
- इससे ऊपर की ऊंचाई के बढ़ने पर फूलों का रंग गहरा लाल और हल्का लाल होता जाता है।
- लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर इसके फूल सफेद हो जाते है।
उत्तराखंड राज्य का राज्य पक्षी(State Bird of Uttarakhand)
- हिमालय के मयूर नाम से प्रसिद्ध मोनाल उत्तराखंड का राज्य पक्षी है।
- इसका वैज्ञानिक नाम लोफोफोरस इंपीजेनस है।
- यह 2500m से 5000m की ऊंचाई पर पाया जाता है।
- मोनाल एक मादा पक्षी है।
- जबकि इसकी तरह देखने वाला डफिया पक्षी नर होता है।
- यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी भी मोनाल है।
- इसका प्रिय आहार आलू, कीड़े- मकोड़े है।
- इसे हिमाचल में नीलगुरु, उत्तर प्रदेश में दतिया, नेपाल में डंगन, भूटान में बुक और सिक्किम में चांमदौग कहा जाता है।
- इस पक्षी की पूंछ हरी होती है।
- नर के सिर में मोर की तरह रंगीन कलगी होता है।
- यह पक्षी अपना घोंसला नहीं बनाती है।
- यह अंडे ऊंचे चट्टान और छिद्र में देती है।
उत्तराखंड राज्य का राज्य पशु(State Animal of Uttarakhand)
- उत्तराखंड सरकार ने हिम शिखरों में 3600 m से 4500m की ऊंचाई के मध्य पाए जाने वाले कस्तूरी मृग को राज्य पशु घोषित किया है।
- इसका रंग भूरा होता है। इस पर काले और पीले धब्बे पाए जाते है।
- इसके एक पैर में चार खूर होते है।
- इसमें से एक बार में 30 से 45 ग्राम कस्तूरी प्राप्त होता है। और इससे तीन 3 वर्ष के अंतराल पर कस्तूरी प्राप्त की जाती है।
- कस्तूरी एक जटिल प्राकृतिक रसायन है। इसमें बहुत अधिक सुगंध होती है।
- इसका उपयोग दमा, मृगी, हार्ट, निमोनिया आदि बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता हैं।
- कस्तूरी की मांग अधिक होने के कारण इसका अत्यधिक शिकार होता हैं।
- इसके संरक्षण के लिए 1972 में यूपी सरकार ने चमोली में केदारनाथ वन्य जीव अभयारण्य की स्थापना की थी।
- कस्तूरी मृग की औसत आयु 20 वर्ष होती है।
- कस्तूरी मृग की औसत आयु 18-20 वर्ष होती है।
उत्तराखण्ड की राजभाषा(State Language of Uttarakhand)
- उत्तराखंड की प्रथम राजभाषा हिंदी है।
- जबकि द्वितीय भाषा का दर्जा संस्कृत को 1 जनवरी 2010 दिया गया है।
उत्तराखंड की राजकीय तितली(State Butterfly of Uttarakhand)
- वेस्ट हिमालयन कॉमन पीकॉक उत्तराखंड की राजकीय तितली का दर्जा 7 नवंबर 2016 को दिया गया है।
- इसका वैज्ञानिक नाम पापीलिया बियार है।
- यह तिमुर के पेड़ पर ही अंडे देती है।
- इसका औसत जीवनकाल 30 –25 दिन का होता है।
उत्तराखंड का राजकीय नृत्य(State Dance of Uttarakhand)
- पांडव नृत्य उत्तराखंड का राजकीय नृत्य है।
- यह नृत्य केदार घाटी क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
- यह नृत्य माघ मेला में किया जाता है।
उत्तराखंड का राजकीय फल(State Fruit of Uttarakhand)
- काफल उत्तराखंड का राजकीय फल है।
- इसका वैज्ञानिक नाम मेरी एक्सयूलेंटा है।
उत्तराखंड का राजकीय वाद्य यन्त्र(State Instrument of Uttarakhand)
- भंडारी कमेटी की सिफारिश पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत घोषित किया गया था।
- उत्तराखंड का राजकीय वाध्य यंत्र ढोल है। जो 2015 में घोषित हुआ था।
उत्तराखंड का राजकीय मिठाई(State Sweet of Uttarakhand)
- उत्तराखंड की राजकीय मिठाई बाल मिठाई है।
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राज्य में बाल मिठाई अल्मोड़ा जनपद की प्रसिद्ध है।
उत्तराखंड का राजकीय खेल(State Game of Uttarakhand)
- उत्तराखंड का राजकीय खेल फुटबॉल है जो 2011 में घोषित हुआ था।
उत्तराखंड का राजकीय गीत(State Songs of Uttarakhand)
- राज्य गीत चयन समिति के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बटरोही थे।
- उत्तराखंड का राजकीय गीत उत्तराखंड देव भूमि मातृभूमि शत-शत नमन है।
- इसका निर्धारण 2016 में किया गया था।
- इसके गीतकार हेमंत बिष्ट तथा स्वर नरेंद्र सिंह नेगी और अनुराधा निराला ने दिया है।