उत्तराखंड में वनों के प्रकार | Types of Forests in Uttrakhand in Hindi

उत्तराखंड भारत के कुछ सबसे विविध और सुंदर जंगलों का घर है। उप-उष्णकटिबंधीय वनों से लेकर अल्पाइन वनों तक, उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के वनों की एक श्

उत्तराखंड में वनों के प्रकार(Types of Forests in Uttrakhand)

उत्तराखंड भारत के कुछ सबसे विविध और सुंदर जंगलों का घर है। उप-उष्णकटिबंधीय वनों से लेकर अल्पाइन वनों तक, उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के वनों की एक श्रृंखला है। ये जंगल पौधों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं, साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए संसाधन भी प्रदान करते हैं।


राज्य 8 प्रमुख प्रकार के वनों का घर है: उपोष्णकटिबंधीय वन, उपोष्णकटिबंधीय शुष्क वन, उपोष्णकटिबंधीय आर्द्र वन, कोणीय वन, पर्वतीय समशीतोष्ण वन, अल्पाइन वन, अल्पाइन झाड़ियां तथा घास के मैदान और टुंडा वन। प्रत्येक प्रकार की अपनी अनूठी विशेषताएं होती हैं और पर्यावरण और स्थानीय समुदायों को विभिन्न लाभ प्रदान करती हैं। इस लेख में हम उत्तराखंड में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के वनों और जैव विविधता के संरक्षण ,उत्तराखंड में वनों का प्रशासनिक विभाजन ,उत्तराखंड औषधी विपणन संग्रहण व शोध संस्थान और उत्तराखंड औषधिय शोध संस्थान  के बारे में जानेंगे।

राज्य में ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वनों का कुल क्षेत्रफल व उनका प्रतिशत पहले  बढ़ता है फिर एक निश्चित ऊंचाई के बाद पुनः घटने लगता है।

उत्तराखंड  मे मुख्यत: 8 प्रकार के वन पाए जाते है। जो इस प्रकार है-

(1) उपोष्ण कटिबंध वन
Sal tree

  • इन वनों की ऊंचाई (750 - 1200 मी से कम) के बीच होती है।
  • प्रमुख वनस्पति– साल, सेमल,हल्दू, खैर ,बांस आदि पाए जाते है। 
  • साल इन वनों की मुख्य विशेषता है।
  • इनमें वृक्षों में प्रतिवर्ष पतझड़ होता है  ।
  • इनमें उत्तराखंड का पूरा उप हिमालय क्षेत्र आता है

(2) उपोष्ण कटिबंधिय शुष्क वन
Blackberry tree

  • इन वनों की ऊंचाई –(1500 से कम)के बीच होती है।
  • प्रमुख वनस्पति –जामुन,  बेर ,गूलर आदि वृक्ष होते है।
  • इन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है ।

(3)उष्णकटिबंधीय आर्द्र पतझड़ वन
Mulberry tree

  • इन वनों की ऊंचाई  –(1500  से कम)के बीच होती है।
  • प्रमुख वनस्पति – सागौन,  शहतूत, पलास आदि है।
  • ये वन मानसूनी होते हैं जो एक समय में अपने पत्ते गिरा देते हैं ये केवल दून द्वारा  शिवालिक श्रेणी के क्षेत्र को क्षेत्रों में पाए जाते हैं ।

(4) कोणधारी वन  
Pine tree

  • इन वनों की ऊंचाई (910 -1800मीटर)के बीच होती है।
  • इसमें प्रमुख वनस्पति–चीड़ है।
  • चीड़ इन वनों की मुख्य विशेषता है 
  • ये चट्टानी धरातल पर भी  उग जाती है।
  • राज्य में इस वन प्रजाति का सबसे अधिक विस्तार देखने को मिलता है ।
  • राज्य के कुल 1 क्षेत्र में 15.25% भाग में  चीड़ के वन पाए जाते हैं।
  • ये  उष्णकटिबंधीय व शीतोष्ण कटिबंध के बीच के वन है।

(5) पर्वतीय शीतोष्ण वन
Rhododendron plant

  • इन वनों की ऊंचाई (1800–2700 )के बीच होती है।
  • प्रमुख वनस्पति  – देवदार, बाज, बुरांश आदि पाए जाते हैं।
  • पर्वतीय  शीतोषण के दक्षिण में ढालो पर बांज की प्रधानता रहती है ।
  • चौड़ी पत्ती वाले ये सदैव हरे भरे रहते हैं।
  • ओके की तीन मुख्य प्रजाति हैं बाज ,मोरु, खर्शू।

(6) एल्पाइन वन/उप एल्पाइन वन 
Himalayan Birch

  • इन वनों की ऊंचाई 2700- 3000 मी के बीच होती है।
  • प्रमुख वनस्पति–  स्प्रूस ,फर ,भोजपत्र ,देवदार आदि पाए जाते है।
  • इन वनों के अंतर्गत में पेड़ आते हैं जो तेलयुक्त होते हैं और यह पेड़  कच्चे ही  जल जाते हैं 
  • देवदार जैसे वृक्षों से सुगंधित तेल भी निकाला जाता है

(7)अल्पाइन झाड़ियां तथा घास के मैदान
Willow tree

  • इन वनों की ऊंचाई  3000– 3600 मी के बीच होती है।
  • प्रमुख वनस्पति– जूनिपर, विलो, रिब्स जैसे वृक्ष पाए जाते है।
  • इन वनों के अंतर्गत घास के मैदान पाए जाते हैं इन्हें मीडो पयार बुग्याल अल्पलाइन पाश्चर कहते हैं।
  • यहां के पशुचारको का चल घुमंतू ,अण्वाल ,पालसी, बाकरखाल ,गुज्जर व और गद्दी कहते है।

(8) टुंडा वन
Lichen

  • इन वनों की ऊंचाई(3600–4800)के बीच होती है।
  • इनमें वनस्पति में काई ,घास पाई जाती हैं।
  • इससे अधिक ऊंचाई पर बर्फाच्छदन  रहता है।

उत्तराखंड में वनों का प्रशासनिक विभाजन

प्रशासन के नियंत्रण के आधार पर उत्तराखंड में वनों को चार भागों में बांटा गया है

1- विभाग अधीन वन-74. 46%

  • इन वनो पर  पूर्णत:सरकारी नियंत्रण होता है ।
  • यहां पर पशुओं को चराने पेड़ काटने खेती करने आदि की अनुमति नहीं होती है ।

2- राजस्व विभागधीन वन -13 .76%

  • इस वनों में पेड़ काटने खेती करने व पशु चराने की अनुमति होती है ।

3- वन पंचायताधीन वन- 15 .32%

  • इन वनों पर पंचायतों का  नियंत्रण होता है।

4- निजी वन - 0.46%

  • इन वनों पर पूर्णत: नीजी या व्यक्तिगत अधिकार होता है।
  • वन  पंचायतों में 9 सदस्यों में से 4 महिला सदस्य होना आवश्यक है ।
  • राज्य में पौध रोपण नीति 6 जून 2006 को लागू की गई (देश में पहली बार )
  • सर्वाधिक वन भूमि वाली 3 नदियां टोंस ,कोसी व यमुना हैं।
  • प्रदेश में कुल वन पंचायतें 12089 हैं।
  • प्रदेश में 400 ऐसे हैं जिनके संसाधनों का दोहन नहीं होता है यह वन देववन कहलाते हैं।
  • 42 वें संविधान संशोधन के तहत वानिकी को समवर्ती सूची का विषय बनाया गया है ।
  • राज्य में कुल 13  वृत्त 44प्रभाग  284 रेंज तथा 5069 बीट है ।
  • राज्य में 400 आरा मिल 32 प्लाईवुड बोनियर इकाइयां व 174 लीसा इकाइयां है ।
  • अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष्य बीच में उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र विश्व में 12 प्रमुख जैव विविधता वाले क्षेत्रों में एक है।

उत्तराखंड औषधी विपणन संग्रहण व शोध संस्थान

  • जड़ी बूटियों के संग्रहण का कार्य सहकारिता विभाग द्वारा सर्वप्रथम 1972 ईस्वी में किया गया था।
  • सन  1980 में बड़ी जड़ी बूटियों के संरक्षण के लिए जनपदवार भेषज सहकारी संघ की स्थापना की गई थी।
  • उत्तराखंड में सर्वप्रथम औषधि पौधे बेलाडोना की खेती 1910 /1903 में क्षेत्र में की गई ।
  • आज उत्तराखंड के बायोडीजल बनाने के लिए जेट्रोपा की खेती की जा रही है

  • राज्य में औषधि विपणन संग्रहण व शोध संस्थान निम्न है –
उत्तराखंड औषध विपणन संस्थान

1-इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (आई डी पी एल )–ऋषिकेश

2-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फॉर ड्रग रिसर्च  -ताड़ीखेत (अल्मोड़ा)

3-कोऑपरेटिव ड्रग्स फैक्ट्री– रानीखेत(अल्मोड़ा)

4-इंडियन  मेडिसन  एंड फार्मास्यूटिकल्स कॉर्पोरेशन लि –मोहान (अल्मोड़ा)

6-कुमाऊं मंडल विकास निगम- नैनीताल 

7-गढ़वाल मंडल विकास निगम- पौड़ी 

उत्तराखंड औषधिय शोध संस्थान

(1) उच्च स्थलीय पौध शोध संस्थान-  श्रीनगर (गढ़वाल)

(2) जड़ी बूटी शोध एव विकास संस्थान-  गोपेश्वर (चमोली)

(3) औषधिय यवं सुगंधित पौध शोध संस्थान- पंतनगर (ऊधम सिंह नगर)

(4) जी बी पंत हिमालय पर्यावारण यवं विकास संस्थान- कोसी, कटारमल (अल्मोड़ा)

(5) वन अनुसंधान संस्थान-  देहरादून

एक टिप्पणी भेजें

Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.